_कुंडली में सप्तम भाव पति-पत्नी एवं व्यापार [7-तुला] से सम्बंधित है l_
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*🕉 कुंडली-में-सप्तम-भाव ✡*
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🔺सप्तम भाव "काम-त्रिकोण" का दूसरा ∆ त्रिकोण कहलाता है l काम त्रिकोण में तृतीय भाव पुं.जातक का बल (वीर्य) रूप होता है और जैसा कि ∆ त्रिकोण के नाम से ही पता चलता है कि काम अर्थात कामवासना का मूल या जड़ ...अर्थात वीर्य तृतीय भाव होता है इसलिए तृतीय भाव काम त्रिकोण का पहला भाव होता है इसी प्रकार दूसरा काम त्रिकोण सप्तम भाव अर्थात हमारी पत्नी (कामिनी) जो कि काम अर्थात वीर्य की सहायक होती है और इसी तरह तीसरा काम त्रिकोण इच्छा पूर्ति 11th का होता है अब काम त्रिकोण के चक्र को आप इस तरह समझ सकते हैं 🔺जैसे वीर्य यानी तृतीय की उत्पत्ति होती है.. तो 🔺सप्तम अर्थात पत्नी उसे ग्रहण करती हैं 🔺जिसके फलस्वरूप हमारी इच्छा यानी कि 11वां भाव पूरा हो जाता है l इसी तरह "काम-त्रिकोण" का चक्र चलता रहता है |
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🔺सप्तम भाव मुख्य रूप से सहयोगी का कहा जाता है और एक सहयोगी हमारी पत्नी भी होती है, जो कि जीवन भर हमारे साथ सहयोग करके चलती है | तथा जीवन संगिनी कहलाती है | इस तरह एक सहयोगी हमारे वह भी होते हैं जो हमारे साथ किसी चीज अथवा कार्य में साझेदारी कर के चलते हैं, जैसे पार्टनरशिप में काम करना अथवा लेन देन साथ ही सप्तम भाव विवाह का भी होता है और विवाह तभी होता है जब कोई बीच मे बिचौलिया हो इसलिये बिचौलियो का भी, सप्तम भाव ही होता है |

🔺भाव भावात के अनुरूप ...
सातवां भाव दूसरे भाव से छटा होता है इसलिये यह हमे बताता है कि धन प्राप्ति के लिये हमे कितना संघर्ष करना पड़ेगा क्यूंकि पत्नी के आने के बाद ही हमे धन संचय के लिये संघर्ष करना होता है l
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हमारे मामा मौसियो के धन की स्थिति भी यही भाव बताता है l दूसरे भाव के अनुरूप सातवां भाव दाल, दूध, घी, गुड, शर्बत व सूप, पान, तला हुआ स्वादिष्ट भोजन भी बताता है l सातवें भाव को अन्य नामो जैसे अस्त, अध्वन, मद, चित्तोत्थ, गमन, मार्ग, द्यून, जामित्र, काम, सम्पत, स्मर से भी जाना जाता है l यह शरीर मे भीतरी प्रजनन्न अंग गुदा-मार्ग, वीर्य-वाहिनी नली, गुप्तांगो का रक्त संचार, गुर्दे, मल,  मूत्र-कोष को भी बताता है l यह भाव मार्ग, सड़क, परदेश, समुद्र पार को भी बताता है l
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तीसरे भाव से पंचम होने के नाते सातवां भाव हमारे पराक्रम को अतिरिक्त सफल बनाने वाली बुद्धि व योजना प्रदान करता है जैसा कि हमारी पत्नी हमे समय-समय पर कहती है कि अमुक काम इस ढंग से करो | साथ यह भाव हमारे छोटे भाई बहनो के बच्चो की स्थिति भी बताता है व उनके प्रेम संबधो को भी | अक्सर आपने देखा है कि देवर (तृतीय) भाव भाभी(सातवें भाव) से स्नेह संबध रखते है वो यहि कारण है सप्तम भाव तीसरे से पंचम होता है l
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चतुर्थ भाव से चौथा होने के कारण सातवां भाव हमारे घर-जायदाद, माता के सुख को भी बढ़ा देता है क्यूंकि सातवें भाव अर्थात पत्नी के आने के बाद घर की सुख सुविधा मे चार चांद लग जाते है तथा माता को भी बहु(७भाव) से सुख मिलता है | इसी तरह बहु यानी सातवे भाव की वजह से ही हमारी पैतृक जमीन जायदाद हमारे हिस्से मे आने से हम उसका सुख ले पाते है l
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सातवां भाव पंचम से तीसरा होता है इसलिये यह हमारी योजना व बुद्धि को मिलने वाले अतिरिक्त बल को दर्शाता है जैसे पत्नी की सलाह व सहायता| साथ हमारी संतान के बल पराक्रम की हालत भी यही भाव बताता ह l
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सातवां भाव छटे भाव से दूसरा होता है इसलिये यह हमारे शत्रु की धमकी व उसकी धन स्थिति का विवरण भी देता है साथ ही मामा मौसियो कि धन स्थिति भी यही भाव बताता है| चोर अगर छटा भाव है तो सातवां चुराया गया सामान है l
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सातवां भाव आठवे से 12वां होने से हमारी आयु मे होने वाली क्षति या गिरावट को बताता है | इसलिये यह मारक भाव कहा जाता है |
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सातवां भाव नवम से 11वां होने कारण हमारे भाग्य व पिता को मिलने वाले लाभ को बताता है क्यूंकि सातवें (पत्नी ) के कारण ही हमारे पिता के क्षेत्र की वंश वृद्धि होती है तथा हमारा भाग्य भी अक्सर विवाह के बाद ही लाभ देता है l

दशम भाव से दशम होने के कारण ही सातवां भाव हमारे पद-प्रतिष्ठा को अतिरिक्त पद-प्रतिष्ठा दिलाने वाला होता है क्यूंकि सातवें(पत्नी) के कारण कई बार हमे खूब पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है l साथ ही यह भाव हमारे कार्य क्षेत्र मे अतिरिक्त कार्य जैसे अपना काम, बिजनेस, साझेदारी का काम या व्यापार भी यही भाव दर्शाता है l
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सतवां भाव एकादश भाव से नवम् होता है इसलिये यह हमारी आय व लाभ मे होने वाली उन्नति को भी दर्शाता है इसलिये यह डेली इनकम का भाव भी कहा जाता है l साथ ही यह भाव हमारे लाभ व आय के लिये होने वाले धार्मिक कृत्यो को भी बताता है क्युकिं हमारी पत्नी ही हमारे लाभ के लिये पूजा-पाठ इत्यादी करती रहती ह l
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सातवां भाव 12वें से आठवां होने के कारण हमारे व्यसनों, नशे खर्चो व निवेशो जैसी क्रियाओ के करने वाला होता है l क्यूंकि हमारी पत्नी ही इन सब चीजो से हमे अलग-थलग कराने का प्रयास करती है अथवा अपनी पत्नी के कारण ही हमे इन उपरोक्त आदतो पर संयम रखना पडता है l

🔺सप्तम भाव का महत्व –
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सातवें भाव का हमारे जीवन में बड़ा ही महत्व होता है l सातवॉ भाव विवाह स्थान होने के नाते यह हमारे जीवन का सबसे अहम स्थान होता है, क्योंकि विवाह है तो पत्नी है और पत्नी है तो बच्चे हैं और बच्चे हैं तो अपना दुनियादारी में नाम है और वंश है l
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सातवा भाव यही तक सीमित नहीं अपितु यह तो बहुत बड़े बड़े कारनामे लेकर आता है हमारी जिंदगी में जैसे कहा जाता है कि – ”हर कामयाब व्यक्ति के पीछे एक औरत का हाथ होता है |”  अर्थात *दुनिया में जितने भी बडे़ बडे़ अधिकतर लोग कारनामे करते देखे गए हैं, वें सब के पीछे किसी न किसी स्त्रि  की कहानी छिपी है l* यहां तक कि *महर्षि पराशरजी ने सप्तम व सप्तमेश के साथ, लग्न पंचम या नवम से योग करने को "राजयोग" का नाम दिया है* क्युंकि अगर हमारे लग्न(शरीर), पचंम(बुद्धि व योजनाएं), नवम(धर्म, भाग्य) अगर कोई अच्छा साथी अथवा हमसफर अर्थात सप्तम भाव मिल जाये तो हम हर मुश्किल से आसानी से टकरा जाते है और इसी के साथ हम सहारे से कहां से कहां तक पहुंच सकते है आप अदांजा लगा सकते है l इस बात को मायने मे आप फिल्मी गीत की पंक्ति से भी समझ सकते है कि –

🎹“जिंदगी हर कदम इक नयी जंग है l जीत जायेंगे हम तू अगर संग है l”

🎹“साथी हाथ बढाना, एक अकेला थक जायेगा, मिलकर बोझ उठाना”
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अर्थात कोई साथी या हमसफर हमारे साथ हो तो हर राह हमे, आसान सी नजर आने लगती है l
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सातवें भाव का हमारे जीवन मे इतना महत्व है कि इसके बारे मे जितना लिखो उतना कम है| इसके लिये आप श्री शिव-शक्ति के आधार पर भी समझ सकते है कि कैसे ये दो होकर भी एक है|
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इसी तरह इस लेख के माध्यम से ज्योतिषिय जानकारी के साथ ही आपको एक बात कहना चाहूंगा कि अगर आपके पास भी कोई, योग्य हमसफर या साथी है तो उसे दूर मत होने दें | अच्छे-बुरे वक्त को आपसी सलाह-समझौते से लेकर चलें l
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इसी तरह *महर्षि पराशर व सभी विद्ववानो ने सप्तमको केन्द्र स्थान का नाम दिया है किसी ग्रह की केन्द्र की स्थिति उसे 60-षष्टियांश बल देती है l* सप्तम भाव व सप्तमेश पर अगर शुभ प्रभाव है तो उपरोक्त सभी बातो मे शुभ फल मिलते है, अगर अशुभ प्रभाव पिडीत हो तो जातक को अधिकांशतः प्रतिकूल परिणाम ही मिला करते है  l

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